मृदु रिश्तों के झंकार
भगवन! देखो तो तुमने यहकैसा संसार बसाया है?लोभ मोह में जग डूबा है,अपने खून ने अपनों को सताया है! निकल गए मेरे सपने अनंतसावन भी बीत गयाकिन्तु प्रफुल्लित,अपनों ने कभी मुझे होने न दिया कलियुग का कौशल दिखलाने कोभगवन आपने ऐसे रिश्ते बनाएँ हैंया निज कर्मों के लेखा जोखाने मुझे ऐसे अपनों से मिलवाए हैं … Read more